”सुफेद बबा हा अतेक सुंदर बंसरी बजावय कि ओकर सोर दस कोस ले बगरे रहीस। का रामायन मण्डली, का नाचा मण्डली, कीर्तन, राम सप्ताह सबे जगह ले बबा बर बुलावा हा आवय। एती दाई ला बबा के बंसरी नई सुहावय। वइसने बबा ला घलो दाई के घेरी-बेरी दखल देवई हा नई सुहावय। दाई हा तो रीस के मारे बबा के बंसरी ला एक बेर चुल्हा म जोर घलो डारे रहीस। ये झगरा के मतलब ए नई रहीस कि दूनो के बिल्कुल नई बनत रहिस हे।”
झगरा तो सबो झन होथें फेर सुफेद बबा अउ करमौतिन दाई के झगरा के सोर तो गांव म होते रहाय। कइथे न कि ”बिहनिया के झगरा अउ संझा के बेरा के बरसा- थिरकत थिरकत थिरकथे। अइसने एकर मन के झगरा राहय। नानकुन गोठ ला एमन अतका लमावय कि बेरा उवत ले सुरू होय एकर मन के झगरा हा रतिहा के सुतत तक पूरय। इंकर झगरा ला देख के लोगन मन काहय कि एकर मन के बिहाव करेके बेरा इंकर सियान मन कोनो पंडित मेरा कुण्डली ला नई देखाय रहीन का। येदुनो कुकुर जोनी के आय तइसे लागथे।
एती तो दुनो के झगरा घलो मातय अउ दुनो ला एक दूसर के देखे बिना चैन घलो नई परय। सुफेद बबा हा दाई ला थोरकिन बेरा नई देखतिस त लइका मन ला पूछ डारतीस। अरे तुंहर दाई हा अब्बड़ बेरा होगे दिखत नइए रे। एकर रातदिन गिंजरई बुता ताय। तब लइका मन ओकर संग ठट्ठा मढ़ावत काहंय, ”बबा तोला मालूम नइए का दाई हा अपन नवा फिलिम के सूटिंग में गे हावय। ओमा ओहा हीरोइन बने हावय।” लइका मन हांसय अउ काहय। एकर मन के आदत ला तो देख सामने म रहिथे त झगरा मता डारथें अउ थोरको एक दुसर ला नई देखय गांव भर खोजंय अइसने दाई के आदत रहीसे। रात दिन कंझावत राहय, बुड़बुड़ावत राहय। ओकर इही शिकायत राहय कि मोर करम फुटे रहीस तभे तो मोर बिहाव एक डोकरा संग होइस। एक ले एक सगा उतरे रहीन मोर बर। फेर मोर दाई ददा के मती मारे गे रहीस के ये डोकरा ल मोर टोटा म बांध दीन। रात दिन झगरा करत रथे। एती बबा काहय, मे अगर तोला पसंद नई आवव तब तैहा दुसर काबर नई बना डारस। दिन रात सिंगार पटार में लागे रथस। भोभली होगेस तभो ले अपन ला हिरवइन समझथस। एती दाई कहां चुप रहीतीस। वो हा काहय तोर चरित्तर ला मय नई जानव का दिन रात बंसरी ला बजावत रथस। बुढ़ागे हावस तभो ले माई लोगन मन नहावत रहिथे तेन मेर जाके बंसरी ला बजाथस। तोर चरित्तर ला मय सुनाय बर सुरू करहूं तब रतिहा पहा जाही फेर तोर चरित्तर के कथा हा नई सिराही। सिरतोन ताय सुफेद बबा हा अतेक सुंदर बंसरी बजावय कि ओकर सोर दस कोस बगरे रहीस। का रामायन मण्डली, का नाचा मण्डली, कीर्तन, राम सप्ताह सबे जगह ले बबा बर बुलावा हा आवय। एती दाई ला बबा के बंसरी नई सुहावय। वइसने बबा ला घलो दाई के घेरी बेरी दखल देवई हा नई सुहावय। दाई हा तो रीस के मारे बबा के बंसरी ला एक बेर चुल्हा म जोर घलो डारे रहीस। ये झगरा के मतलब ये नई रहीस कि दूनो के बिल्कुल नई बनत रहिस हे। दाई हा बबा के खवई-पियई सबो ऊपर अपन निगाह राखे राहय। ओ ये देखत राहय कि ओकर जोखा हा थोरको झन बिगड़य। रांधे के बेरा में तो अपन नाती बहु मन ला ओहा हक्क खवा देवय। मुनगा ला थोरकिन अउ चुरो के रांधव तुहर बबा ला चिचोरत बन जाय तइसे। खेड़हा साग ला रांधत हावव तब ओला अमटहा रांधव तुहर बबा ला घात सुहााथे। तरिया जाहु तो तुंहर बबा के कुरता पउटका ला ले जाहु मइला गे हावय। तब ओकर नाती बहु मन हांसय अउ काहय बबा तुहरेच पोगरी ये का दाई हमर काहीं रिसता नइए का। दिन रात पाछु परे रथव। तब दाई लजा के काहय। तुमन लइका आव सूरतभूल हो जही कही के चेताथंव तब ओकर नाती बहु मन हांस के काहय हमन दु-दु तीन-तीन लइका के महतारी होगे हावन दाई तभो ले तोर बर लइका ह आन का।
दाई अउ बबा के लड़त झगड़त दिन हा पहावत राहय फेर एक ठन नावा तिहार आगे। जमाना जइसे-जइसे बदलथे वइसने नावा-नावा तिहार पैदा हो जथे। टेलिबिजन देखइया मन ला जानकारी होइस कि एक ठन नवा तिहार घलो मनाय जाथे जेला परेम के तिहार कहे जाथे। एक तिहार ला पश्चिम देश के एक झन संत के नाव लेके मनाय जाथे। शहर होवत गांव के छोकरा पिला मन एक तिहार मनाय के तियारी अपन ढंग से करे बर लागीन। ओती एक ठन सेना वाला तथा आने दल वाला मन ला एक तिहार मनाय में दोस दीखे बर धर लीस। ओमन बस्ती वाला मन ला चेतइन कि ये तिहार ला जेनमन मनाही ओकर मन के धुर्रा छड़ा दिए जाही। बस्ती में लड़ई झगरा के नेत आगे। सरकार घला हा एला देखते हुए गांव म गंज अकन पुलिस वाला मन ला भेज दीस। चौंक-चौक, गली-गली सबो कोती पुलिसे पुलिस नजर आय बर धर लीस। फेर वेलेण्टाइन डे तिहार के मनइया लइका मन नई मानीन। जुन्ना बस्ती के चउक में तिहार मनाय बर सजावट करीन। सुग्घर अकन मंच बनाय गीस। अउ ओमा राधा कृष्ण के फोटो ला राख के ओला फूल अउ माला से सजाय गीस। अब काहे नोनी-बाबू मन तारी पीट पीट के नाचे बर धर लीन। बिरोध करइया मन बाजा रूंजी के आवाज ला सुनीन तब ओमन लउठी बेड़गा धर के ओ जगह में पहुंचगे। ओकर मन के पाछु-पाछु पुलिस वाला मन घला पहुंचगे। फेर जब बिरोध करइया मन उहां के दृश्य ला देखीन तब उहूं मन अपन लाउठी बेड़गा ला कोन्टा में राख के ताली पीट पीट के नाचे बर धरलीन। ओकर बाद दूसर कार्यक्रम सुरू होइस। मंच में दु ठो कुर्सी रखे गीस ओमा दारू अउ बबा ला लाके बइठाय गीस। सबो छोटे बड़े मन ओमन ला गुलाल लगाइन माला परिहाइन अउ दुनो झन के पांव परत गीन। एकर बाद घोषणा होइस कि दाई अउ बबा एक दूसर ला भेंट दिही। दाई हा अपने अचरा में लुका के पीतल के बसरी राखे रहीस तेला बबा ला भेंट में दीस। बबा घलो हा एक ठन ढंकना वाला दरपन राखे रहीस तेला दाई ला भेंट करीस। लइका पीचका जम्मो झन राधाकृष्ण के जय बबा अउ दाई के जय बेलेण्टाइन संत के जय बोलाइन। आखिर में जतका झन रहीन ओमनला खीर अउ सोहारी के परसाद बांटे गीस। पुलिस वाला मन घला डटके खीर सोहारी खइन अउ दाई बबा के गोड़ छूके आसिरबाद लेके अपन-अपन घर कोती गीन। ये किसम के छत्तीसगढ़िया मन के बेलेण्टाइन डे के तिहार मनाय गीस।
शशि कुमार शर्मा
गांव व पो. तुमगांव
जिला महासमुंद